भारत (1947) और इज़रायल (1948) लगभग एक साथ आज़ाद हुए, और दोनों देशों को शुरू से ही अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए युद्ध झेलने पड़े। हालांकि दोनों देशों की शुरुआत आर्थिक और औद्योगिक रूप से कमजोर थी, लेकिन इज़रायल ने खुद को तेज़ी से एक रक्षा नवाचार केंद्र (defence innovation powerhouse) में बदल लिया, जबकि भारत अब भी हथियारों के आयात पर निर्भर है।इज़रायल की आत्मनिर्भरता का आधार:लगातार सैन्य संघर्षों से सीखकर रक्षा नवाचार को बढ़ावा मिला।सेना, उद्योग और शिक्षा संस्थानों के बीच मजबूत तालमेल।नागरिकों की अनिवार्य सैन्य सेवा और प्रवासी यहूदियों के सहयोग से एकजुट प्रयास।”आयरन डोम”, UAV, ट्रॉफी सिस्टम जैसे आधुनिक हथियारों का विकास और निर्यात।भारत की चुनौतियाँ:रक्षा क्षेत्र में नौकरशाही का वर्चस्व और धीमा अनुसंधान विकास।सेना और रक्षा संस्थानों के बीच तालमेल की कमी।एल-1 मॉडल के कारण गुणवत्ता से ज्यादा सस्ते सौदों पर ध्यान।अभी भी रक्षा उत्पादन का बड़ा हिस्सा सार्वजनिक क्षेत्र तक सीमित।हालांकि भारत में हाल के वर्षों में ‘मेक इन इंडिया’, रक्षा अधिग्रहण प्रक्रिया 2020 और एफडीआई जैसे सुधार किए गए हैं, लेकिन प्रगति धीमी है। निजी उद्योगों की भागीदारी बढ़ रही है, लेकिन इकोसिस्टम में एकजुटता और गति की कमी है।