प्रतिष्ठित ब्रिटिश जर्नल लांसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, प्लास्टिक प्रदूषण एक गंभीर और बढ़ता हुआ स्वास्थ्य जोखिम बनता जा रहा है. इससे वैश्विक अर्थव्यवस्था को सालाना कम से कम 1,500 अरब डॉलर का नुकसान हो रहा है.प्लास्टिक से होने वाले प्रदूषण और उसके प्रभाव पर डॉक्टरों और विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट लांसेट मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुई है. इस रिपोर्ट में कहा गया है, “प्लास्टिक बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक बीमारी और मृत्यु का कारण बनता है और यह प्रतिवर्ष 1,500 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के स्वास्थ्य संबंधी आर्थिक नुकसान के लिए जिम्मेदार है.”
रिपोर्ट में प्लास्टिक के प्रभावों की तुलना वायु प्रदूषण और शीशे से की गई है और कहा गया है कि कानूनों और नीतियों के जरिए इसके स्वास्थ्य प्रभावों को कम किया जा सकता है. बॉस्टन कॉलेज के अमेरिकी डॉक्टर और शोधकर्ता फिलिप लैंड्रिगन ने चेतावनी दी है कि प्लास्टिक प्रदूषण सबसे कमजोर तबके, खासकर बच्चों को प्रभावित कर रहा है. उन्होंने कहा, “हमें इसके बारे में कुछ करना होगा.”
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माइक्रोप्लास्टिक का इंसान पर असर
रिपोर्ट में माइक्रोप्लास्टिक के सूक्ष्म कणों के बारे में भी चेतावनी दी गई है, जो प्रकृति और मानव शरीर में हर जगह पाए जाते हैं. माइक्रोप्लास्टिक के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले पूर्ण प्रभाव अभी तक पूरी तरह से पता नहीं हैं, लेकिन शोधकर्ताओं ने इस प्लास्टिक के संभावित प्रभावों के बारे में चेतावनी दी है.
रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक प्लास्टिक उत्पादन 1950 में 20 लाख टन से बढ़कर 2022 में 47.5 करोड़ टन हो गया है और 2060 तक इसके तिगुना होने की उम्मीद है. इसमें से सिर्फ नौ फीसदी प्लास्टिक ही रिसाइकिल हो पाता है. विशेषज्ञों का कहना है कि पर्यावरण के लिए जरूरी है कि प्लास्टिक प्रदूषण पर रोक लगाने के लिए प्रभावी कदम उठाने पर दुनिया के देश एक समझौते पर पहुंचें.
प्लास्टिक का उत्पादन तेजी से बढ़ रहा है
लैंड्रिगन ने कहा कि वैश्विक प्लास्टिक “संकट” पर्यावरण संकट से जुड़ा है क्योंकि प्लास्टिक जीवाश्म ईंधन से बनता है. उन्होंने कहा, “ये दोनों ही आज हजारों लोगों में बीमारी, मृत्यु और विकलांगता का कारण बन रहे हैं और आने वाले सालों में यह नुकसान और भी गंभीर हो जाएंगे क्योंकि पृथ्वी गर्म हो रही है और प्लास्टिक का उत्पादन बढ़ रहा है.”
रिपोर्ट में प्लास्टिक प्रदूषण के स्वास्थ्य प्रभावों पर नजर रखने के लिए एक नई परियोजना की भी घोषणा की गई है, जो द लांसेट काउंटडाउन श्रृंखला का हिस्सा है. पर्यावरण चैरिटी डब्ल्यूडब्ल्यूएएफ इंटरनेशनल की 2019 में आई एक स्टडी में बताया गया कि हमारे वातावरण में प्लास्टिक का इतना प्रदूषण है जिसके कारण इंसान हर हफ्ते में करीब पांच ग्राम प्लास्टिक को अपने अंदर ले रहा है, जो हर हफ्ते एक क्रेडिट कार्ड खाने के बराबर होगा.