लंदन के यूनियन चैपल में एक अनोखा और भव्य आयोजन हुआ, जहां जीसस की जगह भगवान श्री कृष्ण और भगवान श्री राम का महा कीर्तन किया गया। यह आयोजन राधिका दास द्वारा किया गया, जो लंदन के एक प्रसिद्ध और सच्चे भक्त हैं। पिछले एक दशक से राधिका दास अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिंदू भगवानों के महा कीर्तन आयोजित कर रहे हैं, जिन्हें बेहद भव्य और भावुक अंदाज में प्रस्तुत किया जाता है।
इस महा कीर्तन को अटेंड करने के लिए हजारों की संख्या में लंदन के क्रिश्चियंस आए थे। यह आयोजन लंदन के हिंदुओं के लिए तो खास था ही, लेकिन इसमें क्रिश्चियंस की भागीदारी ने इसे और भी खास बना दिया। राधिका दास की आवाज इतनी प्यारी और भावुक होती है कि उनके कीर्तन को सुनने वाले विदेशी भी भावुक हो जाते हैं और भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन होकर नाचने लगते हैं।
राधिका दास के महा कीर्तन का प्रभाव इतना व्यापक है कि उन्होंने बिना किसी बल और पैसों के हजारों क्रिश्चियंस को सनातन धर्म की दिव्यता और उत्साह से भरा हुआ रास्ता दिखाया है। इसके परिणामस्वरूप, कई क्रिश्चियंस ने छोटे-छोटे कीर्तन करने शुरू कर दिए हैं और उनका कीर्तन को देखने का नजरिया पूरी तरह बदल गया है।
केना रामदास, जो पहले क्रिश्चियन थे, ने बताया कि कीर्तन से पहले उनके भीतर काफी खालीपन था और मानसिक रोग होने लगे थे। उन्होंने अपनी समस्या को ठीक करने के लिए कई किताबें पढ़ी, लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। इसके बाद उन्होंने भगवत गीता पढ़ी और कीर्तन के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में लीन हो गए। उन्होंने क्रिश्चियनिटी छोड़कर सनातन धर्म अपना लिया और अपना नाम केना रामदास रख लिया। अब वे कीर्तन मेडिटेशन के माध्यम से एक नई ऊर्जा महसूस करते हैं।
प्रस की भी यही कहानी है। उन्होंने क्रिश्चियनिटी छोड़कर कीर्तन के माध्यम से सनातन धर्म में शरण ली और अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव लाए। प्रस का कहना है, “कीर्तन मेडिटेशन के माध्यम से हम अपने भीतर की असली खुशी और आत्मा की खोज कर सकते हैं। यह आत्मा की सुंदरता और दिव्यता को समझने का रास्ता है।”
राधिका दास के महा कीर्तन में एक विशेष बात यह है कि वे भगवान श्री कृष्ण के प्रति जो लव और जॉय महसूस करते हैं, उसे पूरे महा कीर्तन में फैलाते हैं। वे विदेशियों को भी समझाते हैं कि उन्हें अपने आप को भगवान के प्रति कैसे समर्पित करना चाहिए। पिछले महा कीर्तन में उन्होंने एक बहुत ही सुंदर बात कही थी कि “जब आप अपने हाथों से एक साथ ताली बजाते हैं, तो आपके लाखों जन्मों के कर्म और उनकी प्रतिक्रियाएं बदलने लगती हैं और आपके हाथों की रेखाएं बदल जाती हैं।”
इसी तरह, उन्होंने महान संत तुकाराम जी की बात बताई कि “जब आप लेटते हैं और जप करते हैं, तो दिव्यता आपके ठीक बगल में बैठ जाती है; जब आप बैठते हैं और जप करते हैं, तो दिव्यता आपके बगल में खड़ी हो जाती है; जब आप खड़े होते हैं और जप करते हैं, तो दिव्यता आपके साथ नृत्य करती है; और जब आप नृत्य करते हैं और जप करते हैं, तो दिव्यता आपको गले लगाती है।”
राधिका दास के इस अद्वितीय महा कीर्तन के माध्यम से लंदन के हजारों क्रिश्चियंस ने भगवान श्री कृष्ण और श्री राम की भक्ति को अपनाया और सनातन धर्म की अलौकिक ऊर्जा को महसूस किया।