प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज बिहार के राजगीर में नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन किया। यह विश्वविद्यालय प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पास स्थित है और इसका उद्घाटन भारतीय शिक्षा प्रणाली की समृद्धि को दर्शाता है।
नालंदा विश्वविद्यालय का गौरवशाली इतिहास
नालंदा विश्वविद्यालय का इतिहास लगभग 1600 साल पुराना है। यह प्राचीन भारत का एक प्रमुख और ऐतिहासिक शिक्षा केंद्र था। इसके भग्नावशेष को देखने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने विश्वविद्यालय के महत्व और उसकी धरोहर की पूरी जानकारी ली। इस उद्घाटन कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर और 17 देशों के राजदूत भी शामिल हुए।
आधुनिक सुविधाओं से लैस नया कैंपस
राजगीर स्थित अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस में कुल 24 बड़ी इमारतें हैं। इसमें 40 कक्षाओं वाले दो शैक्षणिक ब्लॉक हैं, जिनकी कुल बैठने की क्षमता लगभग 1900 है। इसके अलावा 300 सीटों की क्षमता वाले दो सभागार, 550 छात्रों की क्षमता वाला छात्रावास, अंतरराष्ट्रीय केंद्र, 2000 व्यक्तियों तक की क्षमता वाला एम्फीथिएटर, फैकल्टी क्लब और खेल परिसर जैसी सुविधाएं भी हैं।
पर्यावरण अनुकूल ‘नेट जीरो’ ग्रीन कैंपस
यह कैंपस ‘नेट जीरो’ ग्रीन कैंपस के रूप में डिजाइन किया गया है। इसमें सौर संयंत्र, जल पुनर्चक्रण संयंत्र, घरेलू और पेयजल शोधन संयंत्र, और 100 एकड़ जल निकाय जैसी पर्यावरण अनुकूल सुविधाएं हैं। यह कैंपस आत्मनिर्भर रूप से कार्य करता है और पर्यावरण की दृष्टि से बहुत ही अनुकूल है।
उद्घाटन के बाद पीएम मोदी का संदेश
उद्घाटन से पहले पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, “यह हमारे शिक्षा क्षेत्र के लिए बहुत खास दिन है। नालंदा का हमारे गौरवशाली हिस्से से गहरा नाता है। यह विश्वविद्यालय निश्चित रूप से युवाओं की शैक्षिक आवश्यकताओं को पूरा करने में एक लंबा रास्ता तय करेगा।”
नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस के उद्घाटन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वहां पर एक पौधा भी लगाया, जो विश्वविद्यालय की हरित पहल का प्रतीक है।