12,000 लोगों को नौकरी से निकालेगी TCS

देश की सबसे बड़ी आईटी सर्विसेज़ कंपनी टीसीएस करीब 12,000 कर्मचारियों की छंटनी करेगी जो उसके कार्यबल का 2% है। यह टीसीएस द्वारा नई बेंच नीति लागू किए जाने के बाद उठाया गया कदम है जिसके तहत कर्मचारियों को साल में कम-से-कम 225 दिन बिलेबल प्रोजेक्ट्स पर काम करना होगा और वे बेंच पर 35 दिन ही रह सकते हैं।

TCS के CEO के. कृतिवासन ने रविवार को मनीकंट्रोल को दिए एक इंटरव्यू में कहा, “हम नई टेक्नोलॉजी, खासकर AI और ऑपरेटिंग मॉडल में बदलावों पर जोर दे रहे हैं। काम करने के तरीके बदल रहे हैं। हमें भविष्य के लिए तैयार और चुस्त रहने की जरूरत है। हम बड़े पैमाने पर AI का इस्तेमाल कर रहे हैं और भविष्य के लिए जरूरी स्किल्स का मूल्यांकन कर रहे हैं। हमने एसोसिएट्स में काफी निवेश किया है ताकि उन्हें करियर ग्रोथ और डिप्लॉयमेंट के मौके दिए जा सकें। फिर भी कुछ ऐसे रोल हैं, जहां रीडिप्लॉयमेंट प्रभावी नहीं रहा है। छंटनी का असर हमारी ग्लोबल वर्कफोर्स के लगभग 2 प्रतिशत पर पड़ेगा, मुख्य रूप से मिड और सीनियर लेवल पर। यह कोई आसान फैसला नहीं था और सीईओ के तौर पर मेरे लिए यह अब तक के सबसे कठिन फैसलों में से एक है।”

मजबूत TCS के लिए लेना होगा मुश्किल फैसला

कृतिवासन ने आगे कहा कि एक मजबूत TCS बनाने के लिए हमें यह एक मुश्किल फैसला लेना होगा। कंपनी नोटिस पीरियड पे और एडेड सेवरेंस पैकेज के अलावा, प्रभावित कर्मचारियों के लिए इंश्योरेंस बेनिफिट्स बढ़ाने और आउटप्लेसमेंट के मौके प्रदान करने पर भी विचार करेगी। कृतिवासन ने कहा है कि यह AI के कारण नहीं, बल्कि भविष्य के लिए स्किल विकसित करने के लिए है। यह डिप्लॉयमेंट की व्यवहारिकता को लेकर है, न कि इसलिए कि हमें कम लोगों की जरूरत है।”

नई बेंच पॉलिसी भी पैदा कर रही चिंता

इससे पहले खबर आई थी कि टीसीएस की नई बेंच पॉलिसी के चलते हजारों एंप्लॉयीज की नौकरी जा सकती है। यह पॉलिसी 12 जून 2025 को लागू हुई। आईटी इंडस्ट्री में बेंच साइज/बेंच्ड एंप्लॉयीज से मतलब पेरोल वाले उन एंप्लॉयीज से है, जो किसी भी एक्टिव प्रोजेक्ट पर नहीं होते हैं। ये बैकअप के रूप में रहते हैं और क्लाइंट की ओर से अचानक मांग आने की स्थिति में इन्हें यूटिलाइज किया जाता है। हालांकि किसी भी प्रोजेक्ट पर काम न करते हुए भी इन्हें सैलरी मिलती रहती है।

नई पॉलिसी के तहत कर्मचारियों को एक साल में कम से कम 225 बिलेबल डेज मेंटेन करने होंगे। इसका मतलब है कि उन्हें कम से कम 225 बिजनेस डेज ऐसे प्रोजेक्ट पर रहना होगा, जिससे कंपनी को रेवेन्यू मिलेगा।साथ ही बेंच पर रहने की अवधि अब 35 दिन तक सीमित रहेगी।