एक दौर था जब चीन अपनी वैश्विक रेयर अर्थ मोनोपोली के दम पर दुनिया को आंखें दिखाता था। लेकिन अब वही चाल उसके लिए आत्मघाती बन गई है। जहां चीन उम्मीद कर रहा था कि दुनिया उसकी शर्तें मानेगी, वहीं अब खुद उसकी इंडस्ट्रीज़ संकट में फंस गई हैं। इस रिपोर्ट में हम विश्लेषण करेंगे कि कैसे रेयर अर्थ पर लगे एक्सपोर्ट प्रतिबंध ने चीन की अर्थव्यवस्था को हिला दिया है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में क्या बदलाव हो रहे हैं।
रेयर अर्थ तत्व — जैसे नियोडिमियम, डिस्प्रोसियम, लैंथेनम, सेरियम आदि — आधुनिक टेक्नोलॉजी के रीढ़ हैं।
- उपयोग: इलेक्ट्रिक वाहन, विंड टर्बाइन्स, बैटरियाँ, डिफेंस टेक्नोलॉजी, और मोबाइल फोन्स
- ग्लोबल डोमिनेशन: लगभग 70-80% रेयर अर्थ प्रोडक्शन और 90% रेयर अर्थ मैग्नेट्स का स्रोत अकेला चीन है।
चीन की रणनीति: खुद को बना लिया बंदी
2024 की शुरुआत में चीन ने रेयर अर्थ के एक्सपोर्ट पर सख्त प्रतिबंध लगाने शुरू किए। इसका उद्देश्य था:
- अमेरिका और यूरोप पर दबाव बनाना (जो चाइनीज़ ग्रीन टेक प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगा रहे थे)
- घरेलू इनोवेशन और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना
- रेयर अर्थ की वैश्विक कीमतों को नियंत्रित करना
लेकिन इसका उल्टा असर हुआ।
झटका चीन को: आंकड़े खुद बोलते हैं
- रेवेन्यू में गिरावट: प्रमुख कंपनियों की आय 15% से लेकर 50% तक घट गई।
- एक्सपोर्ट क्रैश: रेयर अर्थ मैग्नेट का एक्सपोर्ट केवल दो महीनों में 75% तक गिर गया।
- इन्वेंटरी पाइलअप: कस्टमाइज़्ड मैग्नेट्स वेयरहाउस में सड़ने लगे क्योंकि खरीदारों तक पहुंच नहीं पा रहे थे।
- SMEs का संकट: छोटे उद्योगों को बंद करना पड़ा या वे दिवालिया हो गए।
उदाहरण:
- Zhong Ke San Huan: 18% गिरावट
- Advanced Technology & Materials Co.: 42% गिरावट
ब्यूरोक्रेसी बन गई बाधा
नई लाइसेंसिंग व्यवस्था के तहत कंपनियों को:
- उत्पाद की संरचना,
- अंतिम उपभोक्ता,
- और खरीदार की जानकारी सरकार को देनी पड़ रही है।
इस प्रक्रिया ने विदेशी खरीदारों का विश्वास तोड़ा, और उन्होंने विकल्प ढूंढना शुरू किया।
दुनिया का पलटवार: विकल्पों की खोज
- वियतनाम, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका जैसी जगहों से सप्लाई शिफ्टिंग
- Tesla जैसी कंपनियों ने मैग्नेट-फ्री मोटर डिज़ाइन अपनाने की कोशिश की
- भारत और अन्य देश अफ्रीका, दक्षिण अमेरिका में रेयर अर्थ डिप्लोमेसी को मजबूत कर रहे हैं
क्यों बैकफायर हुई चीन की चाल?
- ग़लत आकलन: चीन को लगा था कि दुनिया झुकेगी, लेकिन सबने विकल्प तलाशे
- लाइसेंसिंग की देरी: कारोबारी माहौल और खराब हुआ
- घटती घरेलू मांग: कोविड के बाद चीन की अपनी ग्रीन इंडस्ट्रीज भी सुस्त हैं
- वैश्विक नवाचार: रेयर अर्थ के बिना भी काम करने की तकनीक विकसित हो रही है
जियोपॉलिटिकल पृष्ठभूमि: टेक्नोलॉजी का नया युद्ध
- यूएस-चीन ट्रेड वॉर: फेज़ 2
- पहले चिप्स और सेमीकंडक्टर्स (2018–22), अब ग्रीन टेक्नोलॉजी और EVs पर जंग (2023–25)
- अमेरिका और यूरोप ने टैरिफ लगाया, चीन ने एक्सपोर्ट रोका
- लेकिन चीन की रणनीति उल्टी पड़ गई
भारत के लिए सबक और अवसर
- रेयर अर्थ खनन में निवेश: तमिलनाडु, ओडिशा में मोनाज़ाइट सैंड का उपयोग
- रिफाइनिंग और मैग्नेट मैन्युफैक्चरिंग कैपेसिटी विकसित करना
- जापान, यूएस जैसे साझेदारों के साथ रणनीतिक सहयोग
- रेयर अर्थ का रणनीतिक भंडारण: जैसे भारत का ऑयल रिज़र्व है, वैसा ही भंडार रेयर अर्थ का भी
निष्कर्ष:
चीन ने अपने भू-राजनीतिक फायदे के लिए रेयर अर्थ को हथियार बनाया, लेकिन वैश्विक बाज़ार के बदलते मिज़ाज और इनोवेशन की ताकत ने उसकी रणनीति को नाकाम बना दिया। इस संकट से भारत और अन्य देशों को यह सीख मिलती है कि रणनीतिक संसाधनों पर आत्मनिर्भरता और आपूर्ति श्रृंखला का विविधीकरण आज की आवश्यकता है।