इस साल भाद्र पूर्णिमा के दिन, 7 सितंबर की रात को खग्रास चंद्रग्रहण लगने जा रहा है। ग्रहण का समय रात 9:58 बजे से शुरू होकर देर रात 1:26 बजे तक रहेगा। धार्मिक मान्यता है कि ग्रहण का असर केवल खगोलीय घटना तक सीमित नहीं रहता, बल्कि इसका आध्यात्मिक महत्व भी है।
शास्त्रों और परंपराओं में बताया गया है कि ग्रहणकाल साधना और आत्मचिंतन का विशेष अवसर होता है।
- भोजन से परहेज़ करें: ग्रहण के समय भोजन करने से बचना चाहिए। यह समय शरीर और मन को शुद्ध रखने का होता है।
- जप और ध्यान करें: ग्रहण के दौरान मंत्रजप और ध्यान का फल कई गुना बढ़ जाता है। यह आत्मशांति और आध्यात्मिक प्रगति का साधन है।
- दान-पुण्य का महत्व: इस अवधि में किया गया दान और पुण्य कार्य साधारण समय की तुलना में अधिक फलदायी माना जाता है।
- तुलसी/कुशा का प्रयोग: ग्रहण शुरू होने से पहले भोजन पर तुलसी पत्ता या कुशा रख देने से वह अशुद्ध नहीं होता।
ग्रहण को शास्त्रों में एक तरह का आध्यात्मिक अलार्म माना गया है—जो हमें याद दिलाता है कि जीवन केवल खाने-पीने और रोज़मर्रा के कामों तक सीमित नहीं है। यह अवसर है भीतर झांकने का और ईश्वर से जुड़ने का।
👉 तो इस 7 सितंबर की रात, आसमान में चंद्रमा पर छाया देखने से ज़्यादा ज़रूरी है भीतर की रोशनी को जगाना।