उद्भव’ परियोजना के तहत देश की सैन्य विरासत की खोज कर रही भारतीय सेना

सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने मंगलवार को बताया कि भारतीय सेना ‘उद्भव’ परियोजना के तहत महाभारत के युद्ध, प्रतिष्ठित सैन्य हस्तियों के वीरतापूर्ण कारनामों और शासन कला में भारत की समृद्ध विरासत के संबंध में खोज कर रही है।

‘उद्भव’ परियोजना का उद्देश्य देश के रक्षा क्षेत्र को मजबूत करना है।

जनरल पांडे ने बताया कि ‘उद्भव’ परियोजना का उद्घाटन पिछले साल किया गया था और इसके तहत वेदों, पुराणों, उपनिषदों और अर्थशास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों की गहराई से पड़ताल की जा रही है और इसने प्रख्यात भारतीय और पश्चिमी विद्वानों के बीच उल्लेखनीय बौद्धिक समानताओं का खुलासा किया है।

सेना प्रमुख ने ‘हिस्टोरिकल पैटर्न्स इन इंडियन स्ट्रैटेजिक कल्चर’ (भारतीय सामरिक संस्कृति में ऐतिहासिक प्रणालियां) सम्मेलन में ये टिप्पणियां कीं।

इस परियोजना का उद्देश्य आधुनिक सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक अद्वितीय और समग्र दृष्टिकोण तैयार करते हुए समकालीन सैन्य प्रथाओं के साथ प्राचीन ज्ञान का इस्तेमाल करना है। यह भारतीय सेना की ऐसी पहल है जिसका लक्ष्य सदियों पुराने ज्ञान को समकालीन सैन्य शिक्षाशास्त्र के साथ एकीकृत करना है।

सेना प्रमुख ने कहा, ‘‘इस परियोजना में वेदों, पुराणों, उपनिषदों और अर्थशास्त्र जैसे प्राचीन ग्रंथों का गहराई से अध्ययन किया गया है, जो परस्पर जुड़ाव, धार्मिक सोच और नैतिक मूल्यों पर आधारित हैं।”

उन्होंने कहा, ”इसमें महाभारत के युद्ध, मौर्य, गुप्त और मराठा के शासनकाल के समय की सामरिक उत्कृष्टता का अध्ययन किया गया है जिसने भारत की समृद्ध सैन्य विरासत को आकार दिया है।”

सेना प्रमुख ने कहा कि इस परियोजना ने भारत की जनजातीय परंपराओं, मराठा नौसैन्य विरासत और सैन्य हस्तियों, विशेषकर महिलाओं के वीरतापूर्ण कारनामों को उजागर कर नए क्षेत्रों में खोज को प्रोत्साहित किया है।

उन्होंने कहा, ”उद्भव परियोजना शिक्षाविदों, विद्वानों और सैन्य विशेषज्ञों के बीच नागरिक-सैन्य सहयोग को बढ़ावा देकर देश की समग्रता के दृष्टिकोण को मजबूत करती है।”

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