उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणपत्रित उत्पादों पर रोक; सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा

लखनऊ / गोरखपुर से — उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में घोषणा की कि उत्तर प्रदेश में हलाल प्रमाणपत्रित उत्पादों (Halal Certified Products) के उत्पादन, भंडारण, बिक्री और वितरण पर तत्काल प्रभाव से पूरा प्रतिबंध लगा दिया गया है। उन्होंने इसे सिर्फ एक व्यापारिक निर्णय नहीं बल्कि सामाजिक एवं राष्ट्रीय सुरक्षा-मुद्दा बताया।

कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने कहा कि हलाल प्रमाणपत्र के नाम पर राज्य एवं देश में एक विशाल आर्थिक नेटवर्क तैयार हो गया था, जिसमें लगभग ₹25,000 करोड़ तक का लेन-देना हुआ था। उनका दावा है कि इस धन का उपयोग “लव जिहाद”, “धर्मांतरण” और “आतंकवाद” को बढ़ावा देने में किया जा रहा था। उन्होंने विशेष रूप से बलरामपुर जिले में एक गिरोह प्रमुख जलालुद्दीन उर्फ छांगुर बाबा का नाम लिया, जिसके खिलाफ इस संदर्भ में कार्रवाई की गई है। उन्होंने बताया कि उस गिरोह ने “अगड़ी, पिछड़ी और अनुसूचित जाति की बालिकाओं” के लिए धन राशि तय कर रखी थी। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के प्रमाणपत्र सिर्फ एक “विपणन रणनीति” नहीं बल्कि एक “राज्य-विरोधी” षड्यंत्र का हिस्सा बन गए थे।

मुख्यमंत्री की मंशा और टिप्पणी

उन्होंने कहा कि हमें ब्रिटिश उपनिवेशवाद और फ्रांसीसी उपनिवेशवाद की चर्चा अधिक सुनने को मिलती है, लेकिन राजनीतिक इस्लाम की चर्चा नहीं होती — जो उन्होंने माना कि आज भी भारत की सनातन आस्था पर कुठाराघात कर रहा है। उन्होंने कहा कि पूर्व समय में जैसे छत्रपति शिवाजी महाराज, गुरु गोविंद सिंह और महाराणा प्रताप ने राजनीतिक इस्लाम के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी। आज भी ऐसे लोग मौजूद हैं जो राजनीतिक इस्लाम को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि हलाल प्रमाणपत्र का यह रूप “उत्पाद की गुणवत्ता का प्रमाण” नहीं बल्कि “धर्मी-सिकिस्त आर्थिक नेटवर्क” का माध्यम बन गया था। उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि जब कोई सामान खरीदें तो “हलाल सर्टिफिकेट वाला” लिखा हुआ देखें — और जहाँ हो, उसे न खरीदें। उन्होंने विशेष उदाहरण दिए कि साबुन, कपड़े और यहाँ तक कि माचिस जैसी सामानों पर भी हलाल टैग लगे थे — जबकि उनके अनुसार, माचिस “हलाल” का मापदंड कभी नहीं हो सकती।

सरकार-क्रिया एवं कानूनी पहल

मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य सरकार ने इस विषय पर अदालती एवं प्रशासनिक कार्रवाई की है:

बलरामपुर व अन्य जिलों में कथित गिरोहों की पहचान व गिरफ्तारी।

जांच में पाया गया कि प्रमाणपत्रों के नाम पर अलग-अलग संस्थाओं द्वारा पैसा जुटाया गया था।

उपयोग की गई राशि के स्रोत-गति की समीक्षा व भूलेखण (audit) कार्यवाही प्रारंभ।

उत्पादों पर लगे हलाल टैग हटाने, भंडारण व बिक्री वाले कर्ताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई।

भविष्य में उत्पादन व बाजार नियंत्रण हेतु विशेष निगरानी टीम का गठन।

सरकार का दावा है कि यह कदम उपभोक्ता वित्तीय शोषण, धार्मिक भावनाओं का दोहन और सुरक्षा खतरे तीनों को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है।

सामाजिक-प्रतिक्रिया एवं चुनौतियाँ

इस फैसले पर समाज-राजनीति में मिश्रित प्रतिक्रिया है। समर्थक इसे “सुरक्षा की दिशा में मजबूत कदम” मान रहे हैं, जबकि आलोचक इसे “धार्मिक विभाजन को बढ़ावा देने वाला” कदम कह रहे हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि:

इस तरह के कदम उत्पादन-विक्रय बाजार को प्रभावित कर सकते हैं, विशेष रूप से जिन उत्पादों पर विदेशों से प्रमाणपत्र आधारित लेन-देने की प्रवृत्ति थी।

पिछड़े क्षेत्रों में जहाँ प्रमाणपत्र-उद्योग व बाजार प्रवृत्ति थी, वहाँ आर्थिक गतिविधियों पर असर दिख सकता है।

इस निर्णय के निगमन-तंत्र, मान्यता-मानदंड और निष्पादन प्रक्रिया को पारदर्शी रखना महत्वपूर्ण होगा ताकि जनता का भरोसा बना रहे।