मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने घोषणा की है कि उत्तराखंड में ट्रैकिंग करने वालों के लिए एक स्पष्ट गाइडलाइन बनाई जा रही है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भविष्य में कोई भी दुर्घटना न हो और ट्रैकिंग सुरक्षित हो सके। ट्रैकर्स को सही सामान ले जाने, मौसम की जानकारी रखने और फोन कनेक्टिविटी सुनिश्चित करने के निर्देश दिए जाएंगे। वन विभाग और पर्यटन विभाग को एक सप्ताह के भीतर एसओपी (स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसिजर) तैयार करने को कहा गया है।
उत्तराखंड को ट्रैकिंग हब माना जाता है, लेकिन राज्य के गठन से लेकर अब तक ट्रैकिंग के लिए कोई ठोस एसओपी नहीं बन पाई है। इसके कारण यहां आने वाले ट्रैकर्स अपनी जान जोखिम में डालकर ट्रैकिंग करते हैं। पिछले चार सालों में 50 से अधिक ट्रैकर्स अपनी जान गंवा चुके हैं। इस स्थिति को देखते हुए राज्य सरकार ने ट्रैकिंग को लेकर एक एसओपी बनाने का निर्णय लिया है, जिस पर पर्यटन और वन विभाग मिलकर काम करेंगे।
मुख्य सचिव रतूड़ी ने कहा कि राज्य में ट्रैकिंग के दौरान कई हादसे हो चुके हैं। 2018 से 2019 तक 8 लोगों की मौत हुई थी, 2021 में 12 लोगों की मौत हुई, 2022 में द्रौपदी का डंडा ट्रैकिंग के दौरान 28 लोगों की मौत हो गई थी और एक व्यक्ति अभी भी लापता है। 2023 में तीन लोगों की और 2024 के जून में सहस्त्रताल ट्रैकिंग पर 9 ट्रैकर्स की मौत हुई है।
उत्तराखंड में ट्रैकिंग को बढ़ावा देने के लिए प्रचार तो खूब हुआ, लेकिन मजबूत नियमावली और गाइडलाइन की कमी के कारण ट्रैकिंग असुरक्षित बनी रही। पर्यटन और वन विभाग एक दूसरे के पाले में जिम्मेदारी डालते रहे, क्योंकि ज्यादातर ट्रैकिंग रूट वन विभाग के अंतर्गत आते हैं और परमिशन भी वही देता है। वहीं, पर्यटन विभाग ट्रैकिंग ऑपरेटर की जिम्मेदारी निभाता है।
उत्तराखंड में लगभग 80 से अधिक ट्रैकिंग रूट हैं, जिनमें कई विश्व स्तरीय भी हैं। लेकिन मजबूत नियमावली के अभाव में सिर्फ ट्रैकर का रजिस्ट्रेशन कर जिम्मेदारी निभा दी जाती है।
एडवेंचर टूरिज्म के व्यवसायी मंजुल रावत ने कहा कि एक मजबूत और कारगर पॉलिसी की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि ट्रैकिंग के लिए बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं, इसलिए यह सही समय है कि राज्य सरकार और विभाग मिलकर एक एसओपी बनाएं जिससे सुरक्षा मानकों और पर्यटकों को जानकारी प्रदान की जा सके।
गुरुवार को सचिवालय में मुख्य सचिव राधा रतूड़ी की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें पर्यटन, वन और गृह विभाग के अधिकारी शामिल हुए। बैठक में यह निर्णय लिया गया कि एक कारगर ट्रैकिंग गाइडलाइन तैयार की जाए। मुख्य सचिव ने बताया कि वन विभाग और पर्यटन विभाग को एक सप्ताह के भीतर एसओपी बनाने का निर्देश दिया गया है।