मिलिंद देवड़ा की मांग
शिवसेना के राज्यसभा सदस्य मिलिंद देवड़ा ने हाल ही में आईएएस पूजा खेडकर पर लगे आरोपों पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि अगर खेडकर पर लगे आरोप सही साबित होते हैं तो ऐसे अधिकारियों को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। देवड़ा ने सार्वजनिक सेवा में जवाबदेही की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि हमें यह सुनिश्चित करने के लिए और अधिक प्रयास करने चाहिए कि ऐसे लोग सार्वजनिक सेवा में न रहें।
पूजा खेडकर का विवाद
आईएएस पूजा खेडकर का नाम आजकल काफी सुर्खियों में हैं। 2013 बैच की यह अधिकारी तब विवादों में फंस गईं जब उनपर सिविल सेवा परीक्षा के दौरान झूठ बोलने का आरोप लगा। खेडकर ने परीक्षा के समय दावा किया था कि वह मानसिक रूप से दिव्यांग हैं और उन्हें देखने में भी समस्या है। हैरानी की बात यह है कि बिना किसी जांच के ही उनका प्रशासनिक सेवा में चयन हो गया। इसके अलावा, प्रोबेशन के समय उन्होंने अपने लिए घर, कार और कार्यालय जैसी मांगें भी कीं, जिसपर अब विवाद हो रहा है।
नौकरशाही में जवाबदेही की कमी
देवड़ा ने कहा कि सार्वजनिक सेवा में लगे लोगों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने राजनेताओं की आलोचना का स्वागत करते हुए कहा कि राजनेताओं के पास जवाबदेही की एक प्रणाली है, जो चुनाव के माध्यम से होती है। जनता के पास उन्हें कार्यालय से बाहर करने की शक्ति होती है।
न्यायपालिका और नौकरशाही में सुधार की मांग
देवड़ा ने न्यायपालिका से भी जवाबदेही की मांग की। उन्होंने कहा कि हमें न्यायिक और प्रशासनिक सुधारों के बारे में भी बात करनी होगी। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या न्यायपालिका और नौकरशाही की कोई जवाबदेही नहीं है। देवड़ा ने कहा कि जो लोग सार्वजनिक सेवा में प्रवेश करते हैं, उन्हें एक मानक पर खरा उतरना चाहिए।
निष्पक्ष जांच की आवश्यकता
देवड़ा ने महाराष्ट्र के उत्कृष्ट नौकरशाहों के लंबे इतिहास का हवाला देते हुए कहा कि वह खेडकर के बारे में सुनकर बहुत परेशान थे। उन्होंने इस मामले की पूरी तरह से निष्पक्ष जांच की मांग की और कहा कि अगर ये आरोप सही पाए जाते हैं तो ऐसे अधिकारियों को बर्दाश्त नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जो लोग फिट नहीं हैं, उन्हें सिविल सेवा में प्रवेश करने से रोका जाना चाहिए।
एक्स पर पोस्ट
इससे पहले देवड़ा ने इस मामले पर एक्स पर भी पोस्ट किया था। उन्होंने कहा कि आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर के खिलाफ आरोप सेवा की प्रतिष्ठा के लिए गंभीर खतरा हैं। उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्य सचिव से इन आरोपों की व्यापक और निष्पक्ष जांच कराने का आग्रह किया।
यह रिपोर्ट दर्शाती है कि कैसे सार्वजनिक सेवा में जवाबदेही और पारदर्शिता की आवश्यकता है और किस तरह से यह मुद्दा देशभर में चर्चा का विषय बन गया है।