नई दिल्ली: पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारतीय सेना ने पाकिस्तान और पीओके में बड़ी कार्रवाई को अंजाम दिया। भारतीय सेना की कार्रवाई के बाद कल पूरे दिन पाकिस्तान की तरफ से बयान आते रहे। बता दें कि हमारी सेना ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम देते हुए 9 ठिकानों पर एयर स्ट्राइक की थी।
ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। कल रात पाकिस्तान ने भारत के 15 शहरों में सैन्य ठिकानों पर हमला करने की कोशिश की। इस हमले को भारत के S-400 एयर डिफेंस सिस्टम से नाकाम कर दिया। वहीं भारत ने जवाबी कार्रवाई करते हुए ड्रोन के जरिए लाहौर में पाकिस्तान का एयर डिफेंस सिस्टम तबाह कर दिया। विदेश मंत्रालय ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए इसकी जानकारी दी। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि पाकिस्तानी मंत्रियों के आतंकियों के साथ संबंध हैं। हम पाकिस्तान के हर हमले का जवाब देने को तैयार हैं। अब आज इस मुद्दे पर केंद्र सरकार ने सर्वदलीय बैठक भी की है।
पाकिस्तान कोई हिमाकत करेगा तो हम उसका जवाब देंगे: शाहनवाज हुसैन
भाजपा नेता सैयद शाहनवाज हुसैन ने ऑपरेशन सिंदूर पर कहा, “ऑपरेशन सिंदूर जारी है और अगर पाकिस्तान कोई हिमाकत करेगा तो हम उसका जवाब देंगे। जवाब देने में हमारी सेना सक्षम है… भारत के लिए खतरे की कभी बात नहीं रही… पाकिस्तान जान गया है कि वह भारत से मुकाबला नहीं कर सकता… पाकिस्तान एक आतंकी देश है और वह पूरी दुनिया के लिए खतरा है…”
ऑपरेशन सिंदूर के बीच भारत ने पाकिस्तान को सख्त लहजे में चेतावनी दी है। भारत ने कहा है कि हमारी कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ नपी-तुली थी। लेकिन अगर पाकिस्तान हमला करेगा तो इसका अंजाम उसे भुगतना पड़ेगा। हम हर हमले का जवाब देने के लिए तैयार हैं। विदेश मंत्रालय की प्रेस ब्रीफिंग में विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने साफ शब्दों में कहा कि हमारी कार्रवाई तनाव बढ़ाने के लिए नहीं है। तनाव बढ़ाने के लिए केवल पाकिस्तान जिम्मेदार है।
‘पहलगाम हमला है तनाव की जड़’
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने प्रेस ब्रीफिंग में बताया, “22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ हमला तनाव की शुरुआत था। भारतीय सशस्त्र बलों ने 7 मई को इसका जवाब दिया।” उन्होंने द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) नामक आतंकी समूह की संलिप्तता पर जोर देते हुए कहा, “यह समूह पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा का मुखौटा है, जिसके बारे में पहले भी कई बार खुलासा हो चुका है।” मिस्री ने साफ किया कि भारत की कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ थी, न कि तनाव बढ़ाने के लिए।
‘भारत की कार्रवाई नपी-तुली और जिम्मेदार’
मिस्री ने कहा, “भारत की प्रतिक्रिया गैर-बढ़ाने वाली और विचारपूर्ण थी। हमने केवल पाकिस्तान में आतंकवादी बुनियादी ढांचे को निशाना बनाया।” उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत का इरादा तनाव बढ़ाना नहीं, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ सटीक कार्रवाई करना था। उन्होंने पाकिस्तान के उस दावे को भी खारिज किया जिसमें कहा गया कि भारत ने नीलम-झेलम बांध को निशाना बनाया। मिस्री ने इसे मनगढ़ंत और सफेद झूठ करार दिया।
‘पाकिस्तान की आदत झूठ बोलने की’
पाकिस्तान के दावों पर तंज कसते हुए मिस्री ने कहा, “पाकिस्तान का झूठ बोलना कोई नई बात नहीं। 1947 में जम्मू-कश्मीर पर दावा करते वक्त उसने संयुक्त राष्ट्र से झूठ बोला था। यह सिलसिला 75 साल से चल रहा है।” उन्होंने पाकिस्तान के उस दुष्प्रचार को भी बेनकाब किया जिसमें उसने दावा किया कि उसने भारतीय विमानों को मार गिराया। मिस्री ने इसे हास्यास्पद बताते हुए कहा, “यह देश जन्म से ही झूठ की नींव पर खड़ा है।”
जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में कल भी बंद रहेंगे स्कूल-कॉलेज
जम्मू-कश्मीर के कई जिलों में स्कूल-कॉलेजों को कल के लिए भी बंद किया गया है। संभागीय आयुक्त जम्मू ने बताया कि मौजूदा स्थिति को देखते हुए, जम्मू, सांबा, कठुआ, राजौरी और पुंछ जिलों में सभी स्कूल, कॉलेज और शैक्षणिक संस्थान (निजी और सरकारी) कल 9 मई को भी बंद रहेंगे।
क्या भारत और पाक के NSA ने बात की?
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री के इस दावे पर कि भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों ने एक-दूसरे से बात की है, कहा, “मुझे दोनों राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों के बीच संपर्क के संबंध में कोई जानकारी नहीं है…”
यह भारत का धैर्य कि हम पिछले 65 साल से सिंधु समझौते को मान रहे: विदेश सचिव
विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने कहा, “… सिंधु जल संधि जिन परिस्थितियों में संपन्न हुई थी, उनमें मूलभूत परिवर्तन हुए हैं… पिछले 2.5 वर्षों से भारत पाकिस्तान सरकार के साथ संवाद कर रहा है। हमने संधि में संशोधन पर चर्चा के लिए वार्ता का अनुरोध करते हुए उन्हें कई नोटिस भेजे हैं। भारत 6 दशकों से अधिक समय से संधि का सम्मान करता आ रहा है, यहां तक कि उस समय भी जब पाकिस्तान ने हम पर कई युद्ध थोपे थे। पाकिस्तान संधि का उल्लंघन करते हुए जानबूझकर भारत के पश्चिमी नदियों पर अपने वैध अधिकारों का प्रयोग करने में कानूनी बाधाएं खड़ी करता रहा है… यह भारत का धैर्य ही है कि हम पिछले 65 वर्षों से संधि का पालन करते आ रहे हैं, इतने उकसावे के बाद भी… अब स्थितियां बदल गई हैं। यह संधि 50 और 60 के दशक की इंजीनियरिंग तकनीकों पर आधारित थी… तकनीकी बदलावों और उन्नति को ध्यान में रखना होगा…”